सरकार ने संशोधित मानदंड व वित्तीय योजनाओं से MSME को मजबूत किया, 14.6 लाख उद्यमों को राहत
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ECLGS ने 14.6 लाख से अधिक एमएसएमई खातों को NPA होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे सूक्ष्म एवं लघु व्यवसाय स्थिर बने रहे।
संशोधित एमएसएमई मानदंड और उद्यम पंजीकरण से व्यापार में आसानी बढ़ी तथा खुदरा-थोक व्यापारियों को एमएसएमई लाभ के दायरे में लाया गया।
Delhi/ सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए व्यापक सुधार और सहायता उपायों के साथ एक मजबूत ढांचा तैयार किया है। वर्ष 2020 में लागू नए संशोधित मानदंडों को 1 अप्रैल 2025 से दोबारा अपडेट किया गया है, जिससे उद्यमों की पहचान और पंजीकरण प्रक्रिया और आसान हो गई है। एमएसएमई के लिए उद्यम पंजीकरण 1 जुलाई 2020 से शुरू किया गया था, जबकि 2 जुलाई 2021 को खुदरा और थोक व्यापारियों को भी एमएसएमई श्रेणी में शामिल किया गया। इसके अलावा, एमएसएमई की स्थिति में बदलाव होने पर गैर-कर लाभ तीन वर्ष तक बढ़ाए गए हैं।
अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक ढांचे में लाने के लिए 11 जनवरी 2023 को उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया। एमएसएमई में इक्विटी निवेश के लिए आत्मनिर्भर भारत कोष भी संचालित किया जा रहा है। COVID-19 काल में एमएसएमई की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 5 लाख करोड़ रुपये की आपद्कालिक ऋण-गारंटी योजना (ECLGS) लागू की गई। SBI की जनवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना ने लगभग 14.6 लाख एमएसएमई खातों को NPA होने से बचाया।
सरकार ने चमड़ा और वस्त्र सहित कई एमएसएमई क्षेत्रों को वित्तीय, तकनीकी तथा व्यापारिक सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुद्रा ऋण, पीएम विश्वकर्मा योजना, क्रेडिट गारंटी योजना एवं विशेष क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी सहित अनेक योजनाएं संचालित की हैं। एमएसएमई चैंपियंस योजना के साथ प्रौद्योगिकी केंद्र और विस्तार केंद्र भी उद्यमों को कौशल विकास, इनक्यूबेशन और तकनीकी सहायता उपलब्ध करा रहे हैं।